आजादी का रास्ता
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनेक अध्याय हैं, जो १८५७ की बगावत से लेकर जलियांवाला नर संहार तक, असहयोग आंदोलन से लेकर नमक सत्याग्रह तक और इसके अलावा अनेक से मिलकर बना है। भारत ने एक लंबी और कठिन यात्रा तय की जिसमें अनेक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अभियान शामिल हैं और इसमें दो मुख्य हथियार थे सत्य और अहिंसा।
हमारे आजादी के संघर्ष में भारत के राजनैतिक संगठनों का व्यापक वर्णक्रम, उनके दर्शन और अभियान शामिल हैं |सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की आग फैलाई और अपने प्राणों की आहुति दी। तत्पश्चात सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी। सत्याग्रह आंदोलन किए, लाठियां खाईं, कई बार जेल गए और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया।जिन्हें केवल एक पवित्र उद्देश्य के लिए संगठित किया गया, ब्रिटिश उप निवेश प्राधिकार को समाप्त करना और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ना।
१४ अगस्त १९४७ को सुबह ११.०० बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का समारोह आरंभ किया, जिसे अधिकारों का हस्तांतरण किया गया था। जैसे ही मध्यरात्रि की घड़ी आई भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। यह ऐसी घड़ी थी जब स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियति के साथ भेंट 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' नामक अपना प्रसिद्ध भाषण दिया।
आज महात्मा गॉधी, नेताजी सुभास चंद्र बोस जैसे कई वीरों के कारण ही हमारा देश स्वतंत्र हो पाया है।
देश भक्ति की भावना
पूरे देश में अनूठे समर्पण और अपार देशभक्ति की भावना के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रपति द्वारा स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 'राष्ट्र को संबोधन' दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा झण्डा फहराया जाता है। राज्य स्तरों पर हम विशेष स्वतंत्रता दिवस समारोह देखते हैं, जिसमें झण्डा आरोहण समारोह, सलामी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये आयोजन राज्य की राजधानियों में किए जाते हैं और आम तौर पर उस राज्य के मुख्य मंत्री कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हैं। छोटे पैमाने पर शैक्षिक संस्थानों में, आवासीय संघों में, सांस्कृतिक केन्द्रों तथा राजनैतिक सभाओं में भी इनका आयोजन किया जाता है।
एक अन्य अत्यंत लोकप्रिय गतिविधि जो स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है और यह है पतंगें उड़ाना (ज्यादातर गुजरात में)। आसमान में हजारों रंग बिरंगी पतंगें देखी जा सकती हैं, ये चमकदार पतंगें हर भारतीय के घर की छतों और मैदानों में देखी जा सकती हैं और ये पतंगें इस अवसर के आयोजन का अपना विशेष तरीका है।
स्वतंत्रता दिवस का ऐतिहासिक महत्व है। इस दिन की याद आते ही उन शहीदों के प्रति श्रद्धा से मस्तक अपने आप ही झुक जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी। इसलिए हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम हमारे स्वतंत्रता की रक्षा करें। देश का नाम विश्व में रोशन हो, ऐसा कार्य करें। देश की प्रगति के साधक बनें न कि बाधक।
अन्य नाम - १५ अगस्त, स्वाधीनता दिवस
देश - भारत
श्रेणी - राष्ट्रीय
महत्वभारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई - दिनांक१५ अगस्त
समारोह - झंडोत्तोलन
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