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Tuesday, 19 August 2014

अगर आप स्मार्ट फोन का प्रयोग करते हैं तो आपकी भी लोकेशन ट्रेक हो रही है

अगर आप स्मार्ट फोन का प्रयोग करते हैं तो आपकी भी लोकेशन ट्रेक हो 

रही है और उसकी हिस्ट्री भी तैयार हो रही है। 




कहीं भी किसी भी समय यह पता लगाया जा सकता है कि पिछले 30 

दिनों में आप किन-किन जगहों पर गए थे और कहां-कहां से गुजरे थे। 

इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। अब Google आपका कहीं भी पीछा 

नहीं छोड़ेगा। Google Location Service का प्रयोग अपने Users को 

ट्रेक करने के लिए कर रही है। इसके अलावा भी आपकी उम्र, आपके 

शौक, आप इंटरनेट पर कितना समय बिताते हैं और किस टॉपिक को 

सबसे ज्यादा सर्च करते हैं, यह जानकारी Google के पास में है ही। 


Google Maps का प्रयोग अधिकांश किसी स्थान खोज या फिर जब 

हम ट्रेवलिंग पर होते हैं तब करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि 

गूगल इस ट्रेक एप को आपकी लोकशेन को ट्रेस और स्टोर करने के लिए 

कर रही है। लेकिन अब स्मार्ट फोन यूजर्स सावधान हो जाएं क्योंकि 

गूगल मैप पर उनकी लोकेशन ट्रेक हो रही है और उसकी हिस्ट्री भी बन 

रही है। मतलब जहां आपका स्मार्ट फोन जाएगा, वही लोकेशन गूगल 

मैप पर एक लाल बिंदु के रूप में दिखाई देगी। इतना ही नहीं आप 

कितनी बजे कहां पर थे और कितनी दूरी तय की, यह जानकारी भी गूगल 

बता देगा और अपने पास स्टोर कर लेगा। गूगल मैप के साथ ही गूगल 

अर्थ पर भी यह लोकेशन ट्रेस होती है और हिस्ट्री बनती रहती है।

अगर आप अपने स्मार्ट फोन पर गूगल के किसी भी अकाउंट को लॉग 


इन करते हैं तो गूगल मैप पर आपकी लोकशन ट्रेक होना शुरू हो जाती 

है। अब जिस जगह आप जाएंगे वह एक लाल रेखा की तरह उभर 

आएगी। अगर स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर देखें तो यह साफ नजर आएगी।



इतना ही नहीं यह पूरा रिकॉर्ड की एक हिस्ट्री भी बन जाएगी चाहे वह 


पिछले दिन की या फिर एक महीने की। हम सभी जानते हैं कि इससे 

कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हमने अपने स्मार्ट फोन में 'प्राइवेसी' सेटिंग 

कर रखी हो। अगर देखा जाए तो स्मार्ट फोन लोकेशन से गूगल हमारी 

जानकारियों को एकत्र कर रख रहा है।



अगर स्मार्ट फोन पर आपकी गूगल मैप हिस्ट्री बन गई है और आप 


चाहते हैं कि आपकी लोकेशन हिस्ट्री न बने और आप पिछली हिस्ट्री भी

डिलीट करना चाहते हैं तो आप इसे कर सकते हैं। गूगल मैप की हिस्ट्री 

सैटिंग में जाकर आप गियर आईकॉन बटन पर क्लिक करें। इसमें 

आपको डिसेबल और एनेबल सर्विस दिखाई देगी। इसमें आप जो चाहें, 

चुन सकते हैं। 

हालांकि इस सेटिंग को सेव करने से आपकी पुरानी हिस्ट्री डिलीट नहीं 

होगी। अगर आप अपने पिछले 30 दिनों की लोकेशन हिस्ट्री को मिटाना 

चाहते हैं तो इसके लिए आपको लोकेशन हिस्ट्री पेज पर जाना होगा। 

इसमें आपको वर्तमान दिन में डिफाल्ट टाइम पीरियड दिखाई देगा।
मैन्यू में एक कलेंडर दिखाई देगा, जिसमें आपको पिछले 30 दिनों की 


हिस्ट्री आपको दिखाई देगी। इसमें आपको वह टाइम पीरियड दिखाई 

देगा जिसमें आपकी लोकेशन ट्रेक की गई है। इसमें लाल कलर में मैप 

पर लाइन दिखाई देगी। इसी कैलेंडर के नीचे आपको डिलीट का ऑप्शन 

दिखाई देगा। इसमें आप टाइम पीरियड के साथ ही पूरी हिस्ट्री को मिटा 

सकते हैं। अगर आप हिस्ट्री में से किसी विशेष लोकेशन को डिलीट 

करना चाहते हैं तो मैप पर रेड पॉइंट पर क्लिक करें। फिर पॉपअप विडो 

में डिलीट ‍फ्रॉम‍ हिस्ट्री कर दें। 

Sunday, 17 August 2014

जन्माष्टमी

श्रावण कृष्ण अष्टमीपर श्री कृष्ण जी के जन्म का उत्सव जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है । `(आ) कर्षणम् करोति इति ।', अर्थात्, आकर्षित करनेवाला । `कर्षति आकर्षति इति कृष्ण: ।' यानी, जो खींचता है, आकर्षित कर लेता है, वह श्रीकृष्ण । लौकिक अर्थसे श्रीकृष्ण यानी काला । कृष्णविवर (Blackhole) में प्रकाश है, इसका शोध आधुनिक विज्ञानने अब किया है ! कृष्णविवर ग्रह, तारे इत्यादि सबको अपनेमें खींचकर नष्ट कर देता है । उसी प्रकार श्रीकृष्ण सबको अपनी ओर आकर्षित कर सबके मन, बुद्धि व अहंका नाश करते हैं ।




आजकल `दहीकाला' प्रथाके निमित्त बलपूर्वक चंदा वसूली, अश्लील नृत्य, महिलाओंसे छेडछाड, महिला गोविंदा (पुरुषकी भांति महिलाएं भी अपनी टोली बनाकर मटकी फोडती हैं । इससे लाभ तो कुछ नहीं होता, केवल व्यभिचार बढता है ।) आदि अनाचार खुलेआम होते हैं । इन अनाचारोंके कारण उत्सवकी पवित्रता भंग होती है । देवताके तत्त्वका लाभ नहीं होता; वरन् उनकी अवकृपाके पात्र बनते हैं । इन अनाचारोंको रोकनेसे ही उत्सवकी पवित्रता बनी रहेगी और उत्सवका खरा लाभ मिलेगा । समष्टि स्तरपर ऐसा करना भगवान श्रीकृष्णकी उपासना ही है ।

गोपीचंदन: `गोप्य: नाम विष्णुपत्न्य: तासां चन्दनं आल्हादकम् ।' अर्थात्, गोपीचंदन वह है, जो गोपियोंको यानी श्रीकृष्णकी स्त्रियोंको आनंद देता है । इसे `विष्णुचंदन' भी कहते हैं । यह द्वारकाके भागमें पाई जानेवाली एक विशेष प्रकारकी सफेद मिट्टी है । ग्रंथोंमें कहा गया है कि, गंगामें स्नान करनेसे जैसे पाप धुल जात हैं, उसी प्रकार गोपिचंदनका लेप लगानेसे सर्व पाप नष्ट होते हैं । विष्णु गायत्रीका उच्चारण करते हुए मस्तकपर गोपिचंदन लगानेकी प्रथा है ।

‘हरे राम हरे राम.... हरे हरे ।’







`पूजाके दौरान देवताओंको जो वस्तु अर्पित की जाती है, वह वस्तु उन देवताओंको प्रिय है, ऐसा बालबोध भाषामें बताया जाता है, उदा. गणपतिको लाल फूल, शिवको बेल व विष्णुको तुलसी इत्यादि । उसके पश्चात् उस वस्तुके प्रिय होनेके संदर्भमें कथा सुनाई जाती हैण। प्रत्यक्षमें शिव, विष्णु, गणपति जैसे उच्च देवताओंकी कोई पसंद-नापसंद नहीं होती । देवताको विशेष वस्तु अर्पित करनेका तात्पर्य आगे दिए अनुसार है ।
पूजाका एक उद्देश्य यह है कि, पूजी जानेवाली मूर्तिमें चैतन्य निर्माण हो व उसका उपयोग हमारी आध्यात्मिक उन्नतिके लिए हो । यह चैतन्य निर्माण करने हेतु देवताको जो विशेष वस्तु अर्पित की जाती है, उस वस्तुमें देवताओंके महालोकतक फैले हुए पवित्रक (उस देवताके सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण) आकर्षित करनेकी क्षमता अन्य वस्तुओंकी अपेक्षा अधिक होती है । लाल फूलोंमें गणपतिके, बेलमें शिवके, तुलसीमें विष्णुके (श्रीकृष्णके) पवित्रक आकर्षित करनेकी क्षमता सर्वाधिक रहती है; इसी करण श्रीविष्णुको (श्रीकृष्णको) तुलसी अर्पित करते हैं । घरके सामने भी तुलसी वृंदावन होता है ।

Friday, 15 August 2014

स्वतन्त्रता दिवस



आजादी का रास्‍ता
भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम के अनेक अध्‍याय हैं, जो १८५७ की बगावत से लेकर जलियांवाला नर संहार तक, असहयोग आंदोलन से लेकर नमक सत्‍याग्रह तक और इसके अलावा अनेक से मिलकर बना है। भारत ने एक लंबी और कठिन यात्रा तय की जिसमें अनेक राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय अभियान शामिल हैं और इसमें दो मुख्‍य हथियार थे सत्‍य और अहिंसा।
हमारे आजादी के संघर्ष में भारत के राजनैतिक संगठनों का व्‍यापक वर्णक्रम, उनके दर्शन और अभियान शामिल हैं |सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की आग फैलाई और अपने प्राणों की आहुति दी। तत्पश्चात सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी। सत्याग्रह आंदोलन किए, लाठियां खाईं, कई बार जेल गए और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया।जिन्‍हें केवल एक पवित्र उद्देश्‍य के लिए संगठित किया गया, ब्रिटिश उप निवेश प्राधिकार को समाप्‍त करना और एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र के रूप में प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ना।
१४ अगस्‍त १९४७ को सुबह ११.०० बजे संघटक सभा ने भारत की स्‍वतंत्रता का समारोह आरंभ किया, जिसे अधिकारों का हस्‍तांतरण किया गया था। जैसे ही मध्‍यरात्रि की घड़ी आई भारत ने अपनी स्‍वतंत्रता हासिल की और एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र बन गया। यह ऐसी घड़ी थी जब स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियति के साथ भेंट 'ट्रिस्‍ट विद डेस्टिनी' नामक अपना प्रसिद्ध भाषण दिया।
आज महात्‍मा गॉधी, नेताजी सुभास चंद्र बोस जैसे कई वीरों के कारण ही हमारा देश स्‍वतंत्र हो पाया है।

देश भक्ति की भावना
पूरे देश में अनूठे समर्पण और अपार देशभक्ति की भावना के साथ स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
राष्‍ट्रपति द्वारा स्‍वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्‍या पर 'राष्‍ट्र को संबोधन' दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन दिल्‍ली में लाल किले पर तिरंगा झण्‍डा फहराया जाता है। राज्‍य स्‍तरों पर हम विशेष स्‍वतंत्रता दिवस समारोह देखते हैं, जिसमें झण्‍डा आरोहण समारोह, सलामी और सांस्‍कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये आयोजन राज्‍य की राजधानियों में किए जाते हैं और आम तौर पर उस राज्‍य के मुख्‍य मंत्री कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हैं। छोटे पैमाने पर शैक्षिक संस्‍थानों में, आवासीय संघों में, सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों तथा राजनैतिक सभाओं में भी इनका आयोजन किया जाता है।
एक अन्‍य अत्‍यंत लोकप्रिय गतिविधि जो स्‍वतंत्रता की भावना का प्रतीक है और यह है पतंगें उड़ाना (ज्‍यादातर गुजरात में)। आसमान में हजारों रंग बिरंगी पतंगें देखी जा सकती हैं, ये चमकदार पतंगें हर भारतीय के घर की छतों और मैदानों में देखी जा सकती हैं और ये पतंगें इस अवसर के आयोजन का अपना विशेष तरीका है। 

स्वतंत्रता दिवस का ऐतिहासिक महत्व है। इस दिन की याद आते ही उन शहीदों के प्रति श्रद्धा से मस्तक अपने आप ही झुक जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने प्राणों की आहु‍ति दी। इसलिए हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम हमारे स्वतंत्रता की रक्षा करें। देश का नाम विश्व में रोशन हो, ऐसा कार्य करें। देश की प्रगति के साधक बनें न‍ कि बाधक।


अन्य नाम - १५ अगस्त, स्वाधीनता दिवस
देश - भारत
श्रेणी -  राष्ट्रीय
महत्वभारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई - दिनांक१५ अगस्त
समारोह - झंडोत्तोलन 

Wednesday, 6 August 2014

अपने रिश्तों की अहमियत

दोस्तों एक कहानी लिख रहा हु आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी 
में हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए कम वक़्त मिलता है , 
और अगर हम वो भी सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर गेम 
खेलने और फेसबुक में गवा देते है 


















वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | 

सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया 

जाचने के लिए घर ले आई थी | बच्चो की कॉपिया 

देखते देखते उसके आंसू बहने लगे |
उसका पति वही लेटे TV देख रहा था | 

उसने रोने का कारण पूछा

टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ 

विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे 
ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे टेलीविजन बना दे |

यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |

टीचर बोली , “आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है यदि मै TV बन जाऊंगा

तो घर में मेरी एक खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द 
रहेगा | 

जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे

मुझे रोका टोका नहीं जायेंगा और नहीं उल्टे सवाल होंगे | 

जब मै TV बनूंगा, तो पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के 

बावजूद मेरे साथ बैठेंगे

मम्मी को जब तनाव होगातो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि 
मेरे साथ रहना चाहेंगी

मेरे बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के लिए झगडा होगा | 

यहाँ तक की जब TV बंद रहेंगा, तब भी उसकी अच्छी तरह देखभाल होंगी | 

और हा, TV के रूप में मै सबको ख़ुशी भी दे सकूँगा


यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते हुए बोला ,

हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके माँ-बाप तो उस पर 

जरा भी ध्यान नहीं देते !’

टीचर पत्नी ने आंसूं भरी आँखों से उसकी तरफ देखा और बोली, 

जानते हो, यह बच्चा कौन है? ………………………


हमारा अपना बच्चा……

..
हमारा छोटू |”

सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा तो नहीं

मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें वैसे ही 

एक दूसरे के लिए कम वक़्त मिलता है

और अगर हम वो भी सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर गेम 

खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में गँवा देंगे तो हम कभी 

अपने रिश्तों की अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार 
को नहीं समझ
पायेंगे।